प्रसिद्ध रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक के नेतृत्व में चित्रनगरी संवाद मंच द्वारा एक गोष्ठी आयोजित की गई। इस गोष्ठी में इलाहाबाद के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक ने अपनी रंगमंच यात्रा के बारे में विस्तार से बताया। भौमिक जी ने जीवन में लिखने की आवश्यकता पर बल देते हुए इलाहाबाद के प्रसिद्ध कवि श्लेष_गौतम की कुछ पंक्तियां सुनाई-
लिखा किया रह जाएगा, रहता नहीं शरीर।
इसीलिए तो रह गए, तुलसी, सूर, कबीर
संवाद की इस श्रृंखला में उन्होंने बताया कि समानान्तर रंग समूह का गठन उन्होंने कुछ रंगकर्मियों के साथ मिलकर 1977 में किया था। तब से अभी तक 44 साल हो गए उनकी रंग यात्रा निरंतर जारी है। वे अब तक 60 अधिक नाटकों में अभिनय एवं उसका मंचन करा चुके हैं। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद के दर्शक बहुत जागरूक हैं। इसलिए वहां संजीदा नाटक बहुत पसंद किए जाते हैं। लखनऊ और कानपुर के दर्शक कॉमेडी नाटक ज़्यादा पसंद करते हैं।
इस चर्चा में कथाकार भारतेंदु विमल, कथाकार देवमणि पांडे, लेखक दीनदयाल मुरारका, कवि व्यंग्यकार संजीव निगम, डॉ रविंद्र कात्यायन, कवि प्रदीप गुप्ता, कवि राजेश ऋतुपर्ण, कवि आकाश सिंह और अभिनेता रवींद्र यादव ने सक्रिय भागीदारी की।
इस गोष्टी में समानान्तरनामा के नए अंक का लोकार्पण भी किया गया। व्यंग्यकार संजीव निगम ने अपनी नाट्य कृति' कहो _तथागत 'की एक प्रति भौमिक जी को भेंट की। गोष्टी का संचालन कवि देवमणि पांडे जी ने किया।
दीनदयाल मुरारका .
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