२१ अगस्त २०२४ को अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारतीय दलित पैंथर और सहयोगी पार्टी व संस्थाओं द्वारा भारत बंद का आयोजन किया गया पेश है एक विशेष रिपोर्ट-
अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारतीय दलित पैंथर, भीम आर्मी, बहुजन समाज पार्टी सहित तमाम पार्टियों और देश भर के विभिन्न संगठनों द्वारा 21 अगस्त 2024 को भारत बंद का आह्वान किया गया जो की पूरी तरह से सफल रहा ।
भारतीय दलित पैंथर उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष धनीराम बौद्ध के मार्गदर्शन में कानपूर नवाबगंज के चंद्रशेखर आज़ादकृषि विश्वविद्यालय के सामने स्थित डाक्टर आंबेडकर की मूर्ती के प्रांगण से लेकर फूलबाग के नानाराव पार्क स्थित डाक्टर आंबेडकर की मूर्ती तक शांतिपूर्ण जलूस निकलकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया।
उल्लेखनीय है धनी राम बौद्ध के पैर में फ्रैक्चर होने के बाद भी वो व्हील चेयर पर बैठ कर कार्यक्रम में आये और उसी हालत में व्हीलचेयर पर बैठे बैठे ही पूरे कार्यक्रम को संचालित लिया।
कानपूर फूलबाग के नानाराव पार्क मे दलितों के विरोध प्रदर्शन का उत्साह तब देखने को मिला जब विरोध प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए लोग चंदा देने से भी पीछे नहीं रहे।
ऐसे में सवाल ये हैं कि भारत बंद का आयोजन क्यों किया गया ? कोर्ट का वो कौन-सा फैसला है, जिसका सारे दलित संगठन जोरदार विरोध कर हैं.. दलित संगठनों की क्या मांगे हैं? संघ लोक सेवा आयोग यानि (UPSC) में लेटरल एंट्री क्यों सवालों के घेरे में है? भारत बंद का असर आखिर क्या रहा
पहले तो ये जानते हैं की आखिर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला ?
सुप्रीम कोर्ट ने एस सी-एस टी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, सभी एस सी और एस टी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। जैसे की सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एस सी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें एस सी-एस टी आरक्षण का वर्गीकरण यानि सब-क्लासिफिकेशन करके अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। और ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ साथ राज्यों को जरूरी हिदायत भी दी। और कहा कि राज्य सरकारें अपनी मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं हैं , इसमें भी दो शर्तें लागू होंगी।
आइये जानते हैं कि क्या हैं वो २ शर्तें -
पहली शर्त- एस सी के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दिया जा सकता।
दूसरी शर्त- एस सी में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया था, जिनमें ये कहा गया था कि एस सी और एस टी के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। इसलिए उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण किया जा सकता है।
अब ये जानते हैं की कौन-कौन सी पार्टियां भारत बंद का समर्थन कर रहीं हैं ?
भारतीय दलित पैंथर सहित देशभर के दलित संगठनों द्वारा 21 अगस्त को भारत बंद का एलान किया गया। इस भारत बंद को बहुजन समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मायावती, भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद, भारत आदिवासी पार्टी के मोहन लात रोत के अलावा बहुत सारे दलित संगठनों का भी समर्थन मिला। साथ ही कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों के नेता भी समर्थन में शामिल रहे।
किन राज्यों में भारत बंद के बारे मे ज्यादा सर्च किया गया ?
भारत बंद को लेकर राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ समेत देश भर में इसके बारे में गूगल पर काफी सर्च किया गया।
बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के अनुसार बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के उप वर्गीकरण के फैसले का पुरजोर विरोध किया। बहन जी के दिशानिर्देश में बी एस पी के नीला झंडा और हाथी निशान के बैनर तले 21 अगस्त 2024 को होने वाले भारत बंद में भरी तादात में दलित वर्ग के लोग शामिल हुए और और जनता को खासकर दलित, शोषित, वंचित, अल्पसंख्यक और न्याय पसंद लोगों को उप वर्गीकरण के बारे में जागरूक किया।''
ज्ञात हो की दलित पैंथर उत्तर प्रदेश और ब स पा के सभी कार्यकर्ता अनुशासित एवं संवैधानिक तरीके से बड़ी संख्या में भारत बंद में शामिल हुए
आइये जानते हैं की आखिर क्या मांगे हैं भारत बंद करने वालों की ?
भारत बंद का आवाहन करने वाले दलित संगठनों की मांगे हैं कि सुप्रीम कोर्ट कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले या पुनर्विचार करे।
भारत बंद के दौरान क्या बंद रहा ?
भारत बंद को लेकर पुलिस-प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया। विरोध प्रदर्शन के दौरान जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी अधिकारीयों ने व्यापक कदम उठाये।
गूगल ट्रेंड में भी रहा भारत बंद।
दलित संगठनों ने 21 अगस्त २०२४ को 'भारत बंद' का आह्वान किया। इसका असर गूगल पर भी देखने को मिला। ये २१ अगस्त की सुबह से ही गूगल पर ट्रेंड कर रहा था ।
कानपुर उत्तर प्रदेश से ओ एन आई की रिपोर्ट -
- अमित कुमार कमल